जिंक की कमी से गेहूं की फसल को नुक्सान की आशंका के बीच कृषि वैज्ञानिकों ने बताया उपयोग का तरीका, जानें सम्पूर्ण जानकारी
मेरे प्यारे किसान साथियों गेहूं में जिंक की कमी अनेक प्रकार की समस्या लेकर आती है, आपको बता दें कि इस समय गेहूं की फसल अपनी गोभ अवस्था में आ चुकी है एवं गेहूं की फसल रबी सीजन की प्रमुख फसल है एवम् जल्द ही कटाई मार्च के लास्ट सप्ताह और अप्रैल के पहले सप्ताह में शुरू हो जाएगी इस समय किस साथी अच्छी पैदावार हेतु इसमें गेहूं में जिंक की मात्रा आवश्यकता के अनुसार डालना बहुत जरूरी है वरना काम या ज्यादा डालें तो इसमें काफी नुकसान अपने को मिल सकता है।
जिंक की कमी से गेहूं की फसल को नुक्सान की आशंका। Zinc deficiency in wheat crop
साथियों जैसा कि आपको पता है कि गेहूं की पैदावार देश के अधिकतर राज्यों में की जाती है एवं इसकी अच्छे उत्पादन के लिए उर्वरक एवं खाद की आवश्यकता महत्वपूर्ण रहती है इस समय गेहूं के रखरखाव की आवश्यकता बहुत महत्वपूर्ण है किसानों को अपनी फसल पर इस समय विशेष ध्यान देने की जरूरत है ।
खासकर बात करें उर्वरक की मात्रा रोगों के निदान एवं खरपतवार नियंत्रण को लेकर वरना अब तक जितनी भी लागत खेती पर की गई है वह सब बर्बाद हो सकती है ऐसे में जिंक एक ऐसी सक्ष सूक्ष्म पोषक तत्व है जो नाइट्रोजन और फास्फोरस जैसे उर्वरक के रूप में फसलों के लिए बहुत ही आवश्यक है यानी यदि की आवश्यकता आपको पूरा नहीं किया गया तो फसल में नुकसान हो सकता है।
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जिंक की कमी (Zinc deficiency in wheat crop) के लक्षणों के बारे में कृषि वैज्ञानिकों ने बताया है, जिनके अनुसार जिंक की कमी से पत्तियां पर छोटी-छोटी रेखाएं एवं जले हुए रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं जो लोहे में जंग लगना जैसे रंग के होते हैं, जिंक पौधों के लिए बहुत ही आवश्यक पोषक तत्वों में माना जाता है, यह पौधों की हरियाली वृद्धि एवं नवोदित होने के लिए भी आवश्यक माना गया है, जिनकी कमी के लक्षण प्रमुख रूप से बुवाई के लगभग 30 से 35 दिनों बाद दिखाई देने लगते हैं जो उत्पादन में काफी नुकसान पहुंचाते हैं।
जिंक की कमी को कैसे दूर करें
क्यों गेहूं में सिर्फ जिनकी ही कमी नहीं होती बल्कि सभी प्रमुख पोषक तत्वों की आवश्यकता इसमें पड़ती है इसकी कमी से फसल में फूल का काम आना पौधे की वृद्धि रुक जाना पतियों पर हल्के पीले रंग के धब्बे निकली पत्तियों पर भूरे धब्बे जैसी समस्याएं देखने को मिलती है इसके समाधान के लिए कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार 200 लीटर पानी में में 1 किलोग्राम जिंक सल्फेट (21%) और आधा किलोग्राम चुने की मात्रा (बुझा हुआ चुना) को मिलाकर मलमल के कपड़े में जान ले एवं उसका प्रत्येक एकड़ के हिसाब से गेहूं की फसल में छिड़काव कर दे इससे गेहूं में सभी पोषक तत्व पूर्ण हो जाते है।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जिंक में है 17 पोषक तत्व मौजूद
हाल ही में कृषि वैज्ञानिकों ने बताया है कि जिनकी कमी लगभग सभी फसलों में एक गंभीर समस्या बनी हुई है वहीं कृषि वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि भारत के लगभग 40 भेज दी भूमि जिनकी कमी से ग्रस्त है इसका प्रमुख कारण यूरिया और डीएपी के अत्यधिक प्रयोग से मिट्टी में जिंक की कमी बढ़ जाती है वहीं उन्होंने यह भी बताया कि भारत में जिनकी कमी लगभग सभी मिट्टी में पाई जाती है
इसलिए कृषि वैज्ञानिकों ने हाल ही में कहा है कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड के रिपोर्ट के आधार पर ही उर्वरकों का इस्तेमाल करें एवं संतुलित पोषण तत्व दें क्योंकि अत्यधिक उर्वरकों एवं खाद का इस्तेमाल करने से मिट्टी में पोषक तत्वों की गुणवत्ता खराब होती है और फसल पर इसका काफी असर देखने को मिलता है वहीं उन्होंने बताया कि जिंक में तकरीबन 17 प्रकार के अलग अलग पोषक तत्व पाए जाते हैं ।
गेंहू में जिंक के कार्य क्या है?
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गेहूं में जिंक अनेक प्रकार के कार्य करती है इसमें लगभग 17 पोषक तत्व पाए जाते हैं जो गेहूं के लिए अति आवश्यक होते हैं, हालांकि जैसलमेर जिनकी मंत्र की आवश्यकता काफी कम होती है परंतु यह काफी कम गेहूं में कर जाती है एवं उत्पादन बढ़ोतरी के लिए अति आवश्यक मानी गई है, जिंक ऐसा तत्व है जो पौधे में डालने पर 5% से 10% पोधा ही ग्रहण कर पाता है, एवम् 2 से 3 साल में एक बार डालने की आवश्यकता पड़ती है, जिंक डालने से किसानो को प्रमोटर की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।