गेंहू एवम् चावल की कीमतों में आगे मार्केट में क्या भाव रहने की है उम्मीद क्या और तेजी आएगी, जानें तेजी मंदी रिपोर्ट 2024
क्या साल 2024 मे गेहूं एवम् चावल मे तेजी आएगी या मंदी देखे मार्केट की ताजा खबर
साथियों गेहूं एवम् चावल की कीमतों में आगे का बाजार कैसा रहेगा, क्या आगे तेजी आयेगी या फिर मंदी रहेगी आज के इस लेख में हम गेहूं और चावल (wheat and rice) की संपूर्ण भाव भविष्य 2024 के बारे में जानेंगे, तो चलिए मार्केट मे क्या हलचल इस समय चल रही है, जिससे इनकी कीमतों पर असर देखने को मिल सकता है.गेंहू एवम् चावल की लेटेस्ट रिपोर्ट जानते हैं..
गेंहू एवम् चावल की कीमतों में कितनी तेजी संभव?
इस समय गेहूं की आवक मंडियो में बहुत कम होने लगी है, वही धान की नई आवक अनाज मंडियो में हल्की फुल्की अगेती फसल आने लगी है, और इस माह के अंत तक आवक में बढ़ोतरी होगी, जिससे मार्किट में कीमतों पर काफ़ी असर देखने को मिलेगा। ऐसे में जानते हैं आज के इस लेख मे गेंहू एवम् चावल तेजी मंदी।।।
गेंहू के भाव में मंदी की संभवाना कम
Wheat Rate:- गेहूं की पैदावार में कमी के बावजूद किसानों द्वारा बीते 2 सालों में किसानों द्वारा गेहूं को रोक लिया गया है, जिसके चलते केन्द्रीय पूल में गेहूं की खरीद अपेक्षाकृत कम रही है। इस समय 267 लाख मीट्रिक टन के करीब ही खरीद हो पाई है।
सरकारी व गैर सरकारी खरीद प्रतिस्पर्धात्मक चलने से एक सप्ताह में 40/50 रुपए की सुर्खी बन गई थी , परंतु ऊंचे भाव में रोलर फ्लोर मिलों की मांग घटने से बाजार थोड़ा नमी पर आज 2830/2040 रुपए प्रति किलो के बीच रह गया है। सरकार द्वारा खुले बाजार में गेहूं बेचने की घोषणा एक अगस्त से की गई थी, लेकिन अब एक अक्टूबर से देने की बात खबरों में आ रही है, इसे देखते हुए बाजार आगे मंदा नहीं लग रहा है। आगे निकट गेहूं की आवक मंडियों में टूटने से मंदा नहीं लग रहा है।
1509 धान की आवक में बढ़ोतरी से रेट में ठहराव
एक्सपर्ट के अनुसार इस समय सरकार को चावल उद्योग को बचाने हेतू गैर बासमती चावल के निर्यात से 20 प्रतिशत ड्यूटी हटा देनी चाहिए तथा बासमती प्रजाति के चावल से मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (minimum export price) कम करके 800-850 डॉलर प्रति टन कर देना चाहिए, तभी चावल उद्योग पनप पाएगा, अन्यथा कुछ राइस मिलें बंद हो गई हैं तथा बाकी भी बंद हो जाएंगी।
ईरान को निर्यात डील से भाव में तेजी
हालांकि , पुराने धान के भाव ऊंचे होने से यूपी, हरियाणा, पंजाब की राइस मिलों में मिलिंग पड़ता काफी महंगा हो गया है, एवम् मंडियों में आवक बिल्कुल समाप्त हो गई है, जिस कारण राइस मिलें पड़ते के अभाव में बिकवाल नहीं आ रही है। उधर ईरान के लिए निर्यात सौदे होने लगे है, इन परिस्थितियों को देखते हुए धीरे-धीरे और तेजी की संभावना प्रबल हो गई है।
इधर साठी धान की आवक यूपी उत्तराखंड में घट गई है, उससे निर्मित चावल की पकाई बढ़िया नहीं है, जिस कारण उन मालों को अभी निर्यातक नहीं ले रहे हैं। विगत एक सप्ताह से खरीफ सीजन का 1509 धान भी मंडियों में आने लगा है, लेकिन अभी नमी वाले माल आ रहे हैं। जिस कारण 2 दिनों में निर्यातकों की पूछताछ से बाजार ठहर गया है।
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