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पारंपरिक तरीका छोड़ो ऐसे करो तिल की खेती होगा भारी मुनाफा, जानें कैसे करे खेती एवम् कितना होगा लाभ

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खरीफ सीजन में तिल की खेती (sesame cultivation) अन्य पारंपरिक तरीके से खेती की बजाय अधिक मुनाफा दे सकती है, खरीफ में तिल की खेती कैसे करें, जिससे अधिक उत्पादन लिया जा सके, इसके बारे में हम विस्तार से इस लेख में बताने वाले हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लाभ किसानों को मिल सके।

किसान भाइयों इस समय मानसून की बारिश का दौर शुरू हो गया है, उधर खरीद सीजन की अन्य अगेती फसल बोई जा चुकी हैं, ऐसे में मार्केट मे तिल के दाम अच्छे मिलते हैं इसके लिए किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि खरीद सीजन में पछेती बुवाई के रूप में तिल की बुवाई करके जबर्दस्त उत्पादन लिया जा सकता है। क्योंकि इसकी खेती से अन्य पारंपरिक खेती से कही अधिक मुनाफा लिया जा सकता है।

तिल की खेती कहां होती है,

किसान भाइयों वैसे तो देश के कोने कोने में तिल की बुवाई आसानी से की जा सकती हैं, परंतु प्रमुख रूप से इस फसल की बुवाई राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, गुजरात, मध्य प्रदेश,आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु झारखंड एवम् हरियाणा उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में की जाती है।

तिल की फसल की खेती कैसे करें

किसान भाइयों तिल की फसल आप लगाना चाहते हैं तो आप सबसे पहले 3 से 4 बार अच्छे से खेत की जुताई करे। इसके बाद तिल की बुवाई 30 से 45 cm कतार में एवम 15 cm पौधे से पौधे की दूरी पर करे। बीज की मात्रा की बात करे तो किसान साथी प्रति बीघा 1 किलोग्राम प्रमाणित बीज का इस्तेमाल करें।

खाद एवम् उर्वरक का इस्तेमाल

तिल की फसल में किसान साथी 8 किलोग्राम यूरिया,31 किलोग्राम सुपरफास्फेट,5 किलोग्राम गंधक एवम् 50 जिप्सम का इस्तेमाल कर सकते है, आपको बता दें कि यूरिया रासायनिक खाद का इस्तेमाल बुवाई के 30 दिन बाद ही करें ताकि बढ़वार अच्छा ले सके। फसल की बुवाई के 20 दिन बाद खरपतवार नियंत्रण हेतु उपाय जरूर करें। यदि किसी प्रकार का रोग फसल में होता है तो किसान straptocycline 4 ग्राम को 150 लीटर पानी में घोलकर पत्तियों पर छिड़काव कर सकते हैं।

कीटो एवम् रोगों से कैसे करें बचाव

किसान भाइयों इसकी खेती में तने एवम् जड़ सड़ने की समस्या काफी होती है इसकी रोकथाम एवम् उपचार काफी महत्वपूर्ण है। इसकी खेती में चोरनी फफूंद रोग 40 से 45 दिन बाद देखने को मिलता है, जो पतियों में लगता हैं एवम् पत्तियां गिरने लग जाती है। इसकी रोकथाम हेतु पत्तियों पर घुलनशील सल्फर आधा किलोग्राम को 150 लीटर पानी में बोलकर छिड़काव करना है।

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Web Desk

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