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फसलों में पाला पड़ने का डर,शीतलहर और पाले से बचाने का ये है नायब उपाय, जानें फसल में कब करे सिंचाई. किसानों के लिए सलाह

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इस समय दिसंबर के अंतिम सप्ताह एवम जनवरी के 2 सप्ताह जबर्दस्त फसलों में शीतलहर और पाले पड़ने खतरा बढ़ चुका है, यानी फसलों में पाला पड़ने का खतरा है ऐसी स्थिति में किसान अपनी फसल को बचाने हेतु कुछ उपाय कर सकते है जिसके बारे में हम कुछ उपाय सुझाएंगे जिनका उपयोग करके आसानी से फसलों को बचाया जा सकता है इसके अलावा फसलों में सिंचाई कब करे इसके बारे में भी जानेंगे। एवम् कितनी मात्रा में रासायनिक का इस्तेमाल करे.

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इस समय मौसम में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है लाजमी है कि जनवरी और दिसंबर के अंतिम सप्ताह में उत्तर भारत की अधिकतर इलाकों में पाल और ढूंढ पड़ती है ऐसे में फसलों में आप सल्फर के 80 डीजी पाउडर को 3 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से पानी में मिलाकर छिड़काव जरूर करें इसके बाद खेतों में सिंचाई भी जरूर करें ताकि पहले पड़ने से इनको बचाया जा सके।

 

किसान साथियों जब भी मौसम विभाग द्वारा पाला पड़ने या ठंड पड़ने की संभावना व्यक्त की जाती है, उस समय फसल में हल्की सिंचाई जरूर कर दें जिससे तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा और प्रश्नों को नुकसान होने से बचाया जा सके क्योंकि सिंचाई करने से तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस से दो डिग्री सेल्सियस तक तापमान में बढ़ोतरी हो जाती है जो फसलों को हमने से बचाने में सहायक सिद्ध होता है।

शीतलहर और पाले से पौधो को ढककर करे बचाव

अत्यधिक पाला पड़ने से फसलों में नुकसान होने का खतरा बना रहता है ऐसे में नर्सरी को पौधों को रात के समय प्लास्टिक की चादर से ढकने की कृषि विभाग द्वारा सलाह दी जाती है क्योंकि ऐसा करने से तापमान में 2.5 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ जाता है जिस रात का पर जमाव बिंदु पर नहीं पहुंचता एवं पौधे बच जाते हैं इसके अलावा पुलाव का भी इस्तेमाल कर सकते हैं

रासायनिक तरीके से बचाएं फसलों का बचाव

द्वारा जिस दिन पाल पढ़ने की संभावना व्यक्ति की जाती है उसे दिन फसलों में सल्फर की 80 WDG पाउडर को 3 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव कर दें जिससे खेतों में पाला पड़ने की संभावना कम होगी इसके साथ-साथ खेतों में सिंचाई भी जरूर करें ताकि फसलों में तापमान में वर्दी हो सके एवं फसल बर्बाद न हो।

पेड़ लगाकर करे उपाय

फसलों को पाला पड़ने एवं सर्दी से बचने हेतु खेतों की पश्चिमी मेड़ों पर बीच-बीच में उचित स्थान पर वायु रोधी पेड़ जैसे शहतूत शीशम बाबुल एवं जामुन आदि के पेड़ जरूर लगाए, जिसे हवाओं के झोंके फसल को बचा सकती है यदि कोई भी कीट रोग की समान दिखे तो कृषि विभाग से संपर्क जरूर करें या निकटतम कृषि रक्षा इकाई से भी संपर्क कर सकते हैं और उचित सलाह ले सकते हैं।

 

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Web Desk

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