सरसों की पैदावार बढ़ाने हेतु इन बातों का किसान रखें ध्यान, जानें कृषि विभाग द्वारा जारी की गई नई गाइडलाइंस।।
किसान साथी सरसों की पैदावार बढ़ाने हेतु (How increase mustard production) किन बातों का ध्यान रखें इसके बारे में कृषि विभाग द्वारा नई गाइडलाइंस जारी की गई है तो साथियों चलिए इस लेख में विस्तार से जानकारी पढ़ें, …
किसान साथियों भारत कृषि प्रधान देश है, एवम् यहां सभी प्रकार की फसलों की बुवाई की जाती है, मौसम के अनुसार भारत में रबी, खरीफ एवम् जायद में अलग अलग फसल बोई जाती है, वही भारत एक प्रमुख तिलहन उत्पादक देश भी है, जिसमे प्रमुख तिलहन फसल सरसों का उत्पादन के लिए माना जाता है, देश के अधिकतर राज्यों में रबी सीजन में सरसों की बुवाई की जाती है।
भारत के उतरी एवम् पश्चिमी और मध्य भारत के अधिकतर राज्यों में रबी सीजन में बुवाई की जाती है, रबी सीजन के समय तिलहन फसलों में प्रथम स्थान रखती है, इसके बाद सोयाबीन एवम् सूरजमुखी का स्थान आता है,सरसों के प्रमुख उत्पादक राज्यों में राजस्थान, हरियाणा, उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ गुजरात एवम् बिहार में अच्छी पैदावार ली जा रही है ।
अच्छी सरसों की पैदावार लेने हेतु किसानों को समय समय पर फसल का मुआवजा करके ध्यान रखने की आवश्यकता होती है, इसके लिए हाल ही में हरियाणा कृषि विश्विद्यालय हिसार (HAU) द्वारा सरसों उत्पादन में बढ़ोतरी (increse in Mustard production) हेतू नई गाइडलाइंस जारी की है। ताकि किसान साथी इन सुझाव का पालन करके अच्छा उत्पादन ले सके।
ऐसे करे सरसों की पैदावार बढ़ाने हेतु में रोग एवम् कीट प्रबंधन
इस समय जनवरी का आधा माह गुजर चुका है, एवम् अभी भी बीते साल के मुकाबले अधिक ठंड पड़ रही है, जैसे ही मौसम में धूप या तापमान में वृद्धि होगी, उसी समय सरसों की फसल में अनेक प्रकार के रोग जैसे झुलसा रोग, तना गलन रोग, सफेद रोली रोग औऱ तुलासिता रोग का प्रभाव बढ़ने लगता है, यदि इन रोगों का असर सरसो की फसल में दिखाईं दे, उसी समय किसान कृषि विभाग द्वारा सुझाव दिए गए कीटनाशक का इस्तेमाल करे।
इसके अलावा किसान साथी अपने खेत का निरीक्षण समय समय पर करते रहें, यदि उपरोक्त रोग एवम् कीट के अलावा फसल में सफेद रतवा का प्रकोप दिखाईं दे या इसके लक्षण दिखे उसी समय किसान साथी प्रति एकड़ के हिसाब से मैंकोजेब (डाइथेन एम-45) 600-800 ग्राम को 250 से 300 लीटर पानी में घोलकर सरसों की खड़ी फसल में सप्रे का छिड़काव अवश्य कर दे, यह प्रक्रिया 2 से 3 बार दोहराएं।
यदि सरसों की फसल में ठंड का प्रभाव दिखाई दे तो किसान साथी सरसों फसल में हल्की सिंचाई जरूर कर दें, क्योंकि इससे तापमान में एक से दो डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो जाती है, एवं सरसों में पाला पढ़ने की समस्या खत्म हो जाती है, इसके अलावा मौसम विभाग केंद्र द्वारा भी समय समय पर मौसम की जानकारी दी जाती है, इसके अतिरिक्त यदि खेत में फफूंदीनाशक का इस्तेमाल करना चाहिए,
यदि सरसों की फसल में माहू कीट, आरा मक्खी आदि कीट का प्रकोप सरसों में दिखाईं दे, उस समय किसान साथी कृषि विभाग द्वारा सिफारिश दवाओं का इस्तेमाल उसी समय करे, एवम् उपचारित कार देवे, ताकी कीट फसल को नुकसान ना पहुंचा सके।
सरसों की पैदावार अच्छी लेने हेतु किसान साथी बुवाई के समय अच्छे बीज का चुनाव करें , जो आसानी से कीट एवम् रोग प्रतिरोधक क्षमता एवम् इनसे कम से कम प्रभावित हो, यदि रोग के प्रति बीज में लड़ने की क्षमता अधिक होगी तो लाजमी है उत्पादन भी अच्छा देगा।
सरसों की फसल में खाद एवम् उर्वरक का इस्तेमाल
सरसों की पैदावार में बढोतरी हेतू समय समय पर उचित मात्रा में खाद एवम् उर्वरक का इस्तेमाल करे, उससे पहले किसान साथी मिट्टी की जांच जरुर करवाए एवम् उसी के अनुसार ही खाद और उर्वरक का इस्तेमाल करें, क्योंकि बिना आवश्यकता के अधिक या कम उर्वरक उत्पादन में कमी ला सकते है, सरसों की फसल में मुख्य रूप से पोटाश नाइट्रोजन फास्फोरस जैसे प्रमुख तत्वों की आवश्यकता होती है इसके अतिरिक्त गंधक की भी आवश्यकता इस फसल में रहता है ।
जिन इलाकों में सिंचाई की उचित व्यवस्था होती है एवं सरसों की पैदावार यानि फसल का उत्पादन किया जाता है, उस भूमि पर खाद की मात्रा की बात करें, तो पोटाश 20 किलोग्राम नाइट्रोजन 120 किलोग्राम एवं पोटाश 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालनी चाहिए, वही फॉस्फोरस का प्रयोग एवं सिंगल सुपर फास्फेट खाद का भी इस्तेमाल उचित मात्रा में जरूर करें, इससे फसल में अच्छा लाभ मिलेगा, इसके अतिरिक्त सिंगल सुपर फास्फेट की बजाय आज गंधक 40 किलो प्रति हैक्टेयर के हिसाब से उपयोग कर सकते है।
पानी की कमी वाली भूमि एवं विरानी क्षेत्र में बुवाई के समय खाद का इस्तेमाल जरूर करें, जिसमें डीएपी खाद का इस्तेमाल किसान साथी कर सकते हैं, एवं 200 किलोग्राम डीएपी प्रति हेक्टेयर की मात्रा का इस्तेमाल करें, वही बुवाई से पहले किसान साथी न्यूनतम 60 क्विंटल से 80 क्विंटल तक गोबर की सड़ी हुई खाद का भी इस्तेमाल कर सकते हैं जो खेत की उर्वरकता शक्ति को बढ़ाने में मददगार सिद्ध होता है।
सरसों तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए किसान साथी सल्फर का उपयोग कर सकते हैं, एवं इसके साथ-साथ गंधक का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जो सरसों के तेल की मात्रा को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होता है । इसके साथ-साथ सल्फर एवं गंधक जो बीज की मोटाई एवं चमकदार बनाने में भी सहायक है, यदि आप सिंगल सुपर सल्फर का प्रयोग पहले कर रहे हैं तो इसमें अतिरिक्त सल्फर डालने की आवश्यकता नहीं है, परंतु फॉशफोर्स का इस्तमाल करते हैं तो सल्फर का उपयोग जरूर करें, जिससे दाना अच्छा पकेगा एवं वजन भी अच्छा देगा।
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Conclusion:- सरसों की पैदावार अच्छी हो,किसान साथियों मंडी बाजार भाव वेबसाईट खेती बाड़ी, मंडी भाव, सोना चांदी, वायदा बाजार भाव, ताजा किसान योजनाएं, खेल, मनोरंजन एवम् इससे संबंधित अनेक जानकारी समय समय पर किसानों हेतू प्रकाशित करती है, रोजाना ताजा जानकारी के लिए अब मंडी बाजार भाव के व्हाट्सऐप चैनल 👈 पर जुड़ सकते है .हमारे द्वारा संपूर्ण जानकारी अनेक प्लेटफार्म एवम् गहन अध्ययन करके सरल भाषा में आप तक पहुंचाई जाति है ।
ताकी आम लोगों को जल्दी एवम् स्टिक जानकारी आपके पास पहूंच सके, एवम् किसान भाई इसका समय पर लाभ ले सके। इसी प्रकार के प्रयास हमारा आगे भी रहेगा ताकी आप इसका लाभ ले सके, किसान साथी अन्य किसी प्रकार का सुझाव देना चाहते हैं तो हमे सुझाव दे ताकी बेहतर परिणाम सभी को मिले एवम् हम आगे भी सुधार कर सके। सरसों की पैदावार।