बदलते मौसम में सरसों की फसल में कीट रोग का खतरा, कृषि विशेषज्ञों के अनुसार बचाव के ये करें उपाय
इस समय बदलते मौसम में सरसों की फसल में कीट रोग फैलने का खतरा बढ़ गया है, ऐसे में कृषि विशेषज्ञों द्वारा समय रहते ही फसल में उचित दवा का छिड़काव करने की सलाह दी है, ताकि सरसों में ज्यादा नुकसान ना हो।
बदलते मौसम में सरसों की फसल में कीट रोग का खतरा
सर्दियों के मौसम में किसानों को सबसे अधिक डर कीट रोग का रहता है, जैसे ही मौसम में परिवर्तन होने लगता है उसी समय किसान साथी माहू कीट रोग के प्रति सचेत हो जाते है, क्योंकि सर्दी के कारण बदलते मौसम में यह रोग सरसों में अधिक देखा गया है, जो उत्पादन में कमी का प्रमुख कारण बन सकता है। इससे किसानों को काफ़ी अधिक नुकसान झेलना पड़ता है, कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सरसों की फसल में कीट रोग फैलने से पहले ही उचित मात्रा में सही समय पर प्रबंधन कर लेना चाहिए।
हाल ही में कृषि विशेषज्ञ द्वारा कहा गया है कि पाले एवम् माहू कीट रोग से सरसों के बचाव के लिए किसानों को खड़ी फसल में सिंचाई कर दे, क्योंकि सिंचाई करने से तापमान में अंतर आ जाता है, क्योंकि इस समय पछुआ हवा के साथ साथ सर्दी भी काफ़ी पड़ रही है, वही इस समय सरसों की फसल में फूल एवम् फलियां बन रही है, जिसके कारण इस समय फूलों पर माहू कीट का प्रकोप देखने को मिल सकता है। माहू कीट से बचाव हेतु इस समय किसान साथी 2.5% मेटा सिस्टॉक्स दवा का छिड़काव जरुर करे।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सरसों की फसल में इस समय सल्फर का छिड़काव कर सकते है यदि इसमें पहले छिड़काव न किया गया है, यह प्रक्रिया 2 बार दोहराए, किसानों को सलाह दी जाती है कि सल्फर को घोलकर ही इस्तेमाल करें, इसके दो फायदे होंगे एक पाले से फसल बचेगी दूसरी उत्पादन में वृद्धि होगी। वहीं माहू कीट रंग में हरा, पिला एवम् काले में दिखाईं देता है, जो पौधे के फूल फलियां एवम् पतियों पर चिपककर उसको चूस लेता है, जिसके कारण काफ़ी नुकसान होता है।
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