रोपाई के लिए मंडी में पहुंची लाल प्याज की पौध। सबसे महंगा बिकता है ये प्याज की किस्म
बीते 2 सालों में लाल प्याज का उत्पादन बहुत कम रहा है वही कीमतें भी कम बनी रही है। हालंकि इस समय प्याज के रेट लगातार बढ़ रहे हैं, एवम् उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार उत्पादन के साथ साथ बाजार भाव भी अच्छे मिलने की संभावना है। इसी उम्मीद के चलते किसान साथी अपने खेतों की जुताई करने लगे हैं।
लाल प्याज हेतु अलवर जिला काफी विख्यात है जहां अच्छा उत्पादन होता है हालांकि आपको बता दें कि लाल प्याज के उत्पादन में देश का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य महाराष्ट्र आता है उसके बाद अलवर जिला आता है जो उत्पादन के लिए मशहूर है लाल प्याज की मंडी केवल अलवर जिले में स्थित है। लाल प्याज की रोपाई अगस्त एवं सितंबर माह में की जाती है उद्यान विभाग के उपनिदेशक श्री लीलाराम जाट ने बताया है कि पिछले साल अलवर जिले में 24500 हेक्टेयर में प्याज की रोपाई की गई थी एवं उम्मीद है कि इस साल उससे ज्यादा बुवाई की जाएगी
निदेशक उद्यान विभाग के अनुसार इस समय बाहरी राज्यों से भी अनेक प्रकार की किस्में मंडी में आ रही है इसमें प्रमुख रूप से स्थानीय किस्म अलवरा एवं गुजरात की फनाजा किस्मों की आवक मंडी में अधिक हो रही है, खरीदने हेतु किसान इस समय मंडी में पहुंचने लगे हैं एक व्यापारी के अनुसार लाल प्याज की पौध प्रतिदिन 200 से 250 कट्टो की बिक्री मंडी में हो रही है जिले के किसान साथी स्थानीय किस्मों को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं आपको बता दें कि अलवरा प्रति क्विंटल का भाव 4000 से ₹5000 प्रति क्विंटल तक रहता है जबकि गुजरात की फनाजा प्रति क्विंटल के हिसाब से ₹2500 के हिसाब से बिकती है बुवाई हेतू प्रति बीघा के हिसाब से 4 से 5 क्विंटल प्याज़ की जरूरत रहती है।
उत्पादन प्रतिवर्ष क्रमानुसार (लाख मैट्रिक टन में)
साल 2015 में 12600 लाख टन
साल 2016 में 8373 लाख टन
साल 2017 में 9800 लाख टन
साल 2018 में 15700 लाख टन
साल 2019 में 18500 लाख टन
साल 2020 में 19500 लाख टन
साल 2021 में 18500 लाख टन
साल 2022 में 24500 लाख टन
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