चने की फसल में फली छेदक सुंडी एवम् इल्ली का प्रकोप हेतू इस दवा का करे इस्तेमाल
Pod Borer Insect in Gram : इस समय चने की फसल में फली छेदक सुंडी (इल्ली) एवम् झुलसा रोग का प्रकोप देखने को मिल रहा है, इसके लिए कोन सी दवा का इस्तेमाल करें ताकी रोग को बढ़ने से रोका जा सके, क्योंकि यह रोग बढ़ने पर पैदावार को काफ़ी नुकसान पहुंचा सकता है एवम् फसल भी बर्बाद कर सकता है।
Pod Borer Insect in Gram: रबी सीजन की प्रमुख फसल सरसों, गेहूं एवम् चना है, एवम् देश के तकरीबन इन तीनों फसलों का दो तिहाई बुवाई का रकबा बनता है, ऐसे में किसानों को अधिक पैदावार हेतु रोग होने पर अच्छी दवाओं का इस्तेमाल करना चाहिए, किसानों द्वारा कई बार अधिक मात्रा में रासायनिक खादों का इस्तेमाल करने से अनेक प्रकार के फसल में कीट एवम् फंगस की बीमारियां हो जाती है, इस समय चने की फसल में भी इल्ली एवम् सुंडी का प्रकोप देखने को मिल रहा है। यदि इस समय इसके ऊपर नियंत्रण न किया गया तो फसल में काफ़ी नुकसान पहुंचा सकता है।
चने की फसल में फली छेदक सुंडी एवम् इल्ली की बढ़ती बीमारी को रोकने के लिए सही मात्रा एवं अच्छी दवाई के साथ-साथ कीटनाशकों का छिड़काव करके आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है क्योंकि कीट एवं इमली सुंडी जैसी बीमारियां जैसे ही बढ़ती है उसे पर रोक नहीं लगाई गई तो पैदावार में काफी नुकसान हो सकता है एवं पैदावार घट सकती है। हम आज के लेख में जानेंगे कि कैसे चने की फसल में इल्ली एवं सुंडी को कंट्रोल करें तो अंत तक इसलिए को जरूर पढ़े।
चने की फसल में फली छेदक सुंडी क्या है?
चने में यह कीट काफी नुकसान पहुंचा सकती है, यह एक हरे रंग की लट होती है एवम् चने की फसल में फली छेदक सुंडी की लंबाई 1.25 सेंटीमीटर की होती है, जो फली में दाने बनते समय फली में घुस जाती है एवम् उसमे फली नही बनने देती।
चने की फसल में फली छेदक सुंडी एवम् इल्ली कब लगती है।
Pod Borer Insect in Gram deasese: किसानों को सलाह दी जाती है कि यह बीमारी जैसे ही चने की फसल में दिखाई दे तो उस समय सही कीटनाशक का इस्तेमाल करके बीमारी पर रोक लगाए, आपको बता दें कि चने की फसल में फली छेदक सुंडी कई चरणों में देखने को मिलती है।
चने की फसल में यह सुंडी यानी इल्ली पौधों की नई पतियों पर देखने को मिलती है, और फूलों को खाने लगती है, जैसे-जैसे फूल एवम् फली बनने लगती है, यह फलियों के अंदर यानी चना के दाने में घुस जाती है, एवं उसे भी खाने लगती है जिसके कारण किसान को काफी फसल पैदावार में नुकसान होता है, ऐसे में किसानों द्वारा सिस्टमैटिक दवा का इस्तेमाल करना चाहिए, यानी दवा का इस प्रकार इस्तेमाल करें कि प्रत्येक टहनी एवं शाखा पर इसका स्प्रे हो ताकि इल्ली एवं सुंडी के प्रकोप से पौधे को बचाया जा सके।
ये हैं चने की फसल में फली छेदक सुंडी एवम् इल्ली मारने की दवाई
किसानों को चने की फसल में फली छेदक सुंडी एवं इल्ली की रोकथाम के लिए कौन सी दवा का छिड़काव करें ताकि दिल्ली एवं फली चटक कीट रोग से 100% छुटकारा मिल सके इसके लिए हमारे द्वारा नीचे विस्तार से कीटनाशक दवा का इस्तेमाल करने की सलाह दी जा रही है तो चलिए जानते हैं…
इस प्रकार डालें मात्रा के हिसाब से कीटनाशक दवा
कीटनाशक दवा का नाम | प्रति एकड़ दवा की मात्रा |
इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी | 100 ग्राम |
इंडोक्साकार्ब 14.5 एस.सी | 300 मिलीलीटर |
नोवेल्यूरॉन 10% ईसी | 150 मिलीलीटर |
नोवेल्यूरॉन 5.25% + इंडोक्साकार्ब 4.5% एससी | 400 मिलीलीटर |
प्रोफेनोफॉस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% ई.सी | 250 मिलीलीटर |
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