Paddy price today Report 14-09-2023: हरियाणा पंजाब एवम् उतर प्रदेश में 1509 धान की आवक का इस समय दबाव बन गया है, एवम् बीते सप्ताह भर में ही दामों में 200 रूपए प्रति क्विंटल तक मंदे बोले जानें लगे हैं, दूसरी ओर इसका असर चावल की कीमतों पर भी देखने को मिला है, भाव तकरीबन 400 रूपए गिर गए। धान की फसल को ध्यान में रखते हुए इसके दूरगामी रेट में और कमी बन सकती है।
Paddy price today हालांकि उत्तर भारत के धान उत्पादक क्षेत्रों में कहीं बाढ़ तो कहीं सूखे की वजह से फसलों का तारतम्य जरूर गड़बड़ा गया है, लेकिन धान तथा चावल के ऊंचे भाव देखकर किसानों ने उक्त तीनों राज्यों में 22 से 26 प्रतिशत तक अलग-अलग क्षेत्रों में बिजाई अधिक किया था तथा बाढ़ के बाद भी धान की रोपाई युद्ध स्तर पर हुई थी, जिससे सभी तरह के बासमती धान की आपूर्ति क्षेत्रवार आगे पीछे जरूर होगी,
लेकिन फसल चौतरफा बढ़िया बताई जा रही है। दूसरी ओर सरकार द्वारा बासमती चावल के निर्यात पर 1200 डॉलर प्रति टन का कंडीशन लगा दिए जाने से भी पिछले 20 दिनों से निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। यही कारण है कि नया धान मंडियों में 3750/3800 रुपए प्रति कुंतल पंजाब में खुलकर वर्तमान में 3500/3600 रुपए प्रति कुंतल रह गया है।
चावल सेला भी 6400/6450 रुपए प्रति कुंतल पर आ गया है। चावल 1509 स्टीम के भाव भी 7200/7300 रुपए रह गए हैं, जबकि पुरानी बासमती चावल में ज्यादा मंदा नहीं आया है। गौरतलब है कि 1121 एवं 1718 सहित अन्य बासमती प्रजाति के धान की आवक अभी 15 दिन बाद मंडियों में तेजी से आने लगेगी,
लेकिन उससे पहले पंजाब, हरियाणा, यूपी को मिलाकर चार-साढ़े चार लाख बोरी दैनिक अलग-अलग मंडियों में आवक हो रही है, इन परिस्थितियों को देखते हुए चावल की तेजी समाप्त समझना चाहिए तथा बासमती प्रजाति के पुराने चावल के भाव जो राइस मिलर्स अभी ऊंचे भाव पर टांग कर रखे हुए हैं, वह भी आने वाले समय में ढीले पड़ जाएंगे।
विदेशों में भी बासमती धान की नई क्रॉप तैयार हो चुकी है तथा जो धान खेतों में खड़ा है, पिछेती बरसात यूपी, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं झारखंड में तेजी से हो रही है, जिससे धान की फसल को व्यापक लाभ मिला है। अगस्त का महीना सूखा जाने से कुछ क्षेत्रों में धान की फसल खराब जरूर हो गई है, लेकिन अधिकतर फसल को नुकसान मोटे प्रजाति का हुआ है।
Paddy price today: बासमती प्रजाति के सभी धान नहरी वाले क्षेत्रों में होता है तथा उक्त क्षेत्र में पानी की प्रचुरता रही है, जिससे धान की फसल को कोई नुकसान नहीं हुआ है तथा इस बार क्वालिटी भी धान बहुत बढ़िया आई है, इन परिस्थितियों में बासमती प्रजाति के चावल में तेजी की धारणा समाप्त हो गई है। दूसरी ओर मोटे चावल में अभी तेजी कायम रहेगी, क्योंकि फसल में विलंब है तथा उक्त क्षेत्रों में पानी की कमी से अगस्त के महीने में नुकसान हुआ है।
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