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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) द्वारा चना के किसानों हेतु नई एडवाइजरी जारी, जानें वैज्ञानिकों की सलाह

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चना के किसानों को हेतू एक नई एडवाइजरी भारतीय अनुसंधान संस्थान (ICAR) द्वारा जारी की गई है, इस समय रबी सीजन की बुवाई का समय चल रहा है, वही दलहन की फसल का कार्य भी जोर शोर से जारी है इनमे प्रमुख फसल चना भी है जिसकी बुवाई भी हो रही है, इस हेतु कृषि वैज्ञानिकों ने चने की खेती के लिए सिंचाई, बुवाई, रोग नियंत्रण, ऊर्वरक हेतु सलाह दी है, उनके मुताबिक 15 दिसंबर तक चने की बुवाई का कार्य पूर्ण करने की सलाह दी है।

चने की खेती के लिए ICAR एडवाइजरी .

अधिक पैदावार हेतु भारतीय अनुसंधान संस्थान द्वारा समय समय पर अनेक सलाह दी जाती है, तो चना की खेती के किसान अधिक उत्पादन हेतु ये उपाय करके अच्छा लाभ ले सकते है तो चलिए जानते हैं…

 

इन राज्यों में होती है चने की खेती

राजस्थान, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ गुजरात महाराष्ट्र एवम् हरियाणा के शुष्क क्षेत्रों में चने की खेती की जाती है हालांकि उन क्षेत्र में चना की खेती भी उपयुक्त है जहा 60 से 90 मिलीमीटर के आसपास बर्षा होती है, सर्दी में इसकी खेती करना काफ़ी ग्रोथ करता है, इसके लिए तापमान 24 से 30 डिग्री उपयुक्त रहता है। हालांकि आजकल ड्रीप सिंचाई के द्वारा भी कम बर्षा वाले स्थानों पर की जानें लगी है।

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ये है चने की खेती के लिए उपयुक्त भूमि .

इसकी फसल हेतु हल्की से भारी मिट्टी उपयुक्त मानी गई है एवम् मिटटी का pH मान 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए, जो चने की बढ़ोतरी के लिए सही रहता है, वही पौधे की जड़ों में पानी नहीं ठहरना चाइए क्योंकी इस फसल के लिए कम पानी की जरूरत होती है,

चने की खेती में सिंचाई

हालांकि चना ज्यादा पानी वाली फसल नहीं है, अधिकतर सिंचाई की पूर्ति बर्षा से ही पूर्ण हो जाती है परंतु यदि बर्षा न हो उसके लिए महत्वपूर्ण है कि जब फूल आने लगे उस समय एक हल्का पानी लाभदायक सिद्ध होगा, वही मध्य भारत एवम् पश्चिमी भारत के मैदानी राज्यों में शाखाये निकलने एवं फूल बनते समय सिंचाई करनी जरुरी होती है यानि दो सिंचाई काफी है।

चने की फसल की तुडाई/कटाई एवम् खरपतवार नियंत्रण

अधिक पैदावार हेतु चने की बुआई के 30 से 40 दिन बाद शीर्ष कलियों की तुड़ाई करना काफी फायदेमंद रहता है। क्योकि इससे चने के पौधे में अधिक फुटवार होती है और पौधा पूरी तरह से ग्रोथ होकर नई शाखाये बनती है, जिससे उत्पादन अधिक होता है। इसके साथ ही चने की खेती में खरपतवार का निवारण करना जरुरी है। चने की फसल में खरपतवार को बुआई के एक महीने बाद निकलना फायदेमंद होता है। एक महीने के दौरान जो भी खरपतवार खेत में होती है उसको निकाल दे। इससे चने के पौधे की जड़े अधिक फैलती है और पौधे को ग्रोथ होने में मदद होती है.

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