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गेहूं की खरीद मंडियो में MSP Rate से ऊपर, गेहूं एवम जौ में बंपर तेजी की आशा के बीच जानें लेटेस्ट रेट

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Wheat Rate Today: किसान भाइयों मध्यप्रदेश में सरकार द्वारा चालू वर्ष के दौरान अधिक से अधिक मात्रा में गेहूं की खरीद सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है। वहां इस बार 82 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया है,और किसानों से 2400 रूपए प्रति क्विंटल की दर से इसकी खरीद करने का निर्णय है जिसमें 2275 रूपए प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (Wheat MSP Rate 2024) और 125 रूपए प्रति क्विंटल का अतिरिक्त बोनस शामिल है। मध्यप्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि गेहूं बेचने के लिए अब तक 15 लाख से अधिक किसान अपना रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं, जबकि आगामी सप्ताहों में इसकी संख्या तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। वहां मार्च के अंत तक किसानो को अपना रजिस्ट्रेशन करवाने की अनुमति दी गई है।

गेहूं की खरीद एमएसपी रेट से ऊपर।

वही राजस्थान में भी किसानों से 125 रुपए के अतिरिक्त बोनस के साथ 2400 रूपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदा जाएगा । पिछले साल मध्य प्रदेश में 70.90 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी, जबकि बोनस की वजह से वहां इस बार अधिक मात्रा में इसकी खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। भारतीय खाद्य निगम के पास गेहूं का स्टॉक घटकर 80.20 लाख टन रह गया है, जो वर्ष 2016 के बाद सबसे कम और 1 अप्रैल 2024 के लिए आवश्यक न्यूनतम बफर मात्रा 74.60 लाख टन से कुछ अधिक है। मध्य्प्रदेश और राजस्थान के गेहूं की खरीद आरम्भ हो गई है और अभी तक करीब 983 टन की खरीद हो चुकी है।

 

केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय ने चालू वर्ष के लिए 300- 320 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है जबकि पिछले साल 341.50 लाख टन का नियत लक्ष्य की तुलना में केवल 282 लाख टन की खरीद सकी थी । पंजाब में 130 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। गेहूं की सरकारी खरीद इस बार भी चुनौतीपूर्ण रहने की संभावना क्योंकि सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों की थोक मंडियों में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का भाव 2275 रूपए प्रति क्विंटल के सरकारी समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा है।*

जौ-व्यापार भरपूर लाभदायक रहेगा

जौ की बिजाई इस बार वर्ष 2024 में कम हुई है। दूसरी ओर पाइप लाइन में माल 90 प्रतिशत निपट चुके हैं। नई फसल आने में इस बार 15 दिन का विलंब होने से बाजार ज्यादा नहीं घट रहे हैं। अतः थोड़ा ठहर कर इस बार व्यापार भरपूर लाभ देने वाला है।

इस बार जौ की बिजाई राजस्थान सहित सभी उत्पादक राज्यों में कम हुई है। गौरतलब है कि देश में सबसे अधिक जौ की बिजाई राजस्थान के जयपुर हनुमानगढ़ श्रीगंगानगर लाइन में होती है। गत वर्ष इसमें किसानों को सीजन में अच्छे भाव नहीं मिलने से उनका मनोबल टूट गया था, जिसके चलते राजस्थान में जौ का उत्पादन 10 लाख मेट्रिक टन के करीब गत वर्ष हुआ था, वह इस बार 8 लाख मीट्रिक टन रह जाने का अनुमान आ रहा है।

यूपी में भी जौ का उत्पादन गत वर्ष के 7 मीट्रिक टन के मुकाबले 5.50 लाख मैट्रिक टन रह गया है। इसी तरह अन्य राज्यों में भी उत्पादन कम बता रहे हैं। इस तरह कुल उत्पादन अनुमान 19-20 लाख मीट्रिक टन के करीब रह जाने का लगाया जा रहा है, जबकि गत वर्ष या उत्पादन 25.50 लाख मीट्रिक टन के करीब हुआ था। सबसे बड़ी बात यह है कि जौ की खपत दिन प्रति दिन पौष्टिक आहार में बढ़ती जा रही है, लेकिन किसानों का मनोबल इसकी बजाय गेहूं सहित सब्जी वाली फसलों पर बना हुआ है।

गत वर्ष किसानों की फसल आने पर जयपुर लाइन में नीचे में 1750/1800 रुपए प्रति क्विंटल के बीच नमी के हिसाब से बिका गया था, इस समय नया जौ एमपी एवं राजस्थान की मंडियों में छिटपुट आने लगा है, उसके भाव 1950/1975 रुपए प्रति क्विंटल इस समय चल रहे हैं। पुराना जौ राजस्थान का खपत वाले उद्योगों में 2250 रुपए प्रति क्विंटल बिकने के बाद वर्तमान में 2200/2220 रुपए पहुंच में रह गया है तथा कुछ एवरेज माल 2150 रुपए में भी बेचू आने लगे हैं। उत्पादन में कमी को देखते हुए एमपी राजस्थान की मंडियों में जो 1850/1900 रुपए से नीचे जाना मुश्किल लग रहा है।

अभी हाल ही में पिछले चार-पांच दिनों से मौसम खराब होने से मध्य प्रदेश की मंडियों में जौ की आपूर्ति ठप पड़ गई है तथा वहां पहले से ही उत्पादन में कमी रही है। इधर जयपुर लाइन में भी गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 36-37 प्रतिशत जौ की आवक कम हो रही है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए जौ के व्यापार में आगे चलकर भरपूर लाभ मिलने की संभावना दिखाई दे रही है।

 

आधिकारिक आकड़ों के अनुसार केंद्रीय पूल में 1 मार्च की तुलना में 15 मार्च को खा‌द्यान्न का कुल स्टॉक 359.78 लाख टन से 9.58 लाख टन बढ़कर 369.36 लाख टन पर पहुंच गया जिसमें मुख्यतः चावल का योगदान रहा। समीक्षाधीन अवधि के दौरान चावल का स्टॉक तो 262.86 लाख टन से 23.85 लाख टन बढ़कर 286.71 लाख टन पर पहुंचा। गेहूं का स्टॉक 96.92 लाख टन से 14.27 लाख टन घटकर 82.65 लाख टन रह गया। दूसरी ओर इसी अवधि में धान का स्टॉक 473.19 लाख टन से 43.56 लाख टन घटकर 429.63 लाख टन पर अटक गया। मगर मोटे अनाजों का स्टॉक 3.90 लाख टन से सुधरकर 3.99 लाख टन हो गया।

गेहूं की खरीद अभी अत्यंत सुस्त गति से हो रही है। जबकि खपत में बढ़ोत्तरी का सिलसिला जारी है। सरकार ने उत्तर प्रदेश में 1 मार्च से तथा राजस्थान में 10 मार्च से गेहूं खरीदने का प्लान बनाया था मगर खराब मौसम के कारण यह संभव नहीं हो पाया। मध्य प्रदेश में भी 15 मार्च तक गेहूं की सरकारी खरीद आरंभ नहीं हो सकी थी। उपलब्ध आकड़ों के अनुसार 1 मार्च 2023 को केंद्रीय पर्ल में 210.54 लाख टन चावल एवं 116.70 लाख टन गेहूं के साथ कुल 327.24 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक मौजूद था जबकि धान का स्टॉक 371.8 लाख टन एवं मोटे अनाजों का स्टॉक 9.61 लाख टन रहा था।

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Web Desk

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