गेहूं में जिंक की कमी से होने के लक्षण एवम् गेहूं में जिंक कब और की कितनी मात्रा में डालें, एवम् जिंक का स्प्रे कब करे क्या है जिंक के फायदे
गेहूं में जिंक की कमी से अनेक प्रकार के प्रकोप देखने को मिल सकते है, क्योंकि सभी प्रकार की फसलों में जिंक की उचित मात्रा की आवश्यकता पड़ती है, वरना अनाज की पैदावार में कमी देखने को मिलेंगी। गेहूं की फसल में फास्फोरस, नाइट्रोजन एवम् जिंक (Zinc deficiency in wheat crop) के अलावा भी कई प्रकार के पोषक तत्वों की जरूरत रहती है। जो फसल को बढ़वार में सहायक होते हैं।
गेहूं में जिंक की कमी लक्षण एवम् उपाय। जिंक के फायदे
गेहूं एवम् धान की फसल में अनेक पोषक तत्वों की कमी हों जाती है यदि गेहूं या धान या अन्य फसलों में कमी है तो जिंक का प्रयोग पौधों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण में मदद करता है, जिससे पौधों में हरापन आता है, इसके अलावा जिंक कार्बोहाइड्रेट्स के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है, जिससे पौधों को भोजन निर्माण में भी मदद मिलती है, इसके अतिरिक्त जिंक गेहू एवम् धान में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करता है, जिंक पौधों के वृद्धि में आवश्यक एंजाइम को भी सक्रिय करने में मदद करता है
यदि गेहूं की फसल में इनमें से किसी भी एक पोषक तत्व की कमी हो जाए तो पौधा कमजोर रहता है, और बढ़वार नहीं हो पाती । जिसका सीधा असर फसल के उत्पादन पर पड़ता है। इसलिए किसानों को गेहूं की फसल में जिंक की कमी (Zinc deficiency in wheat crop) का पता कैसे लगाया जाए और कमी होने पर उसकी पूर्ति कैसे की जाए, यह आज हम इस रिपोर्ट में जानेंगे इस रिपोर्ट को आप अंत तक जरूर पढ़ें।
जिंक की कमी होने पर गेहूं की फसल में क्या लक्षण दिखाई देते हैं ?
Zinc deficiency in wheat crop। क्योंकि फसल में जिंक की कमी होने पर फसल एक समान बढ़वार नहीं लेती। जिसके चलते कुछ पौधे छोटे आकार के रह जाते हैं। गेहूं की फसल में जिंक की कमी ज्यादातर क्षारीय चिकनी मिट्टी और है। अधिक चुने वाली रेतीली मिट्टी में देखने को मिलती है। गेहूं की फसल में जिंक की कमी होने पर पत्ती पीले हरे रंग की दिखाई देती है। इसकी पहचान के लिए आपको बता दें कि जो नई और मध्यम पत्तियां होती है। उसकी मध्य शिरा या किनारे के बीच में पीले धब्बे देखने को मिलते हैं और जो लंबाई में रहते हैं। और अंत में यह पीले भोले या बुरे रंग के देखने को मिलते हैं। बता दें कि गेहूं की फसल में जिंक की कमी ज्यादातर अधिक पी. एच. वाली जमीन में देखने को मिलती है।
गेहूं की फसल में जिंक कमी होने पर कब डालना चाहिए (Zinc deficiency in wheat crop)
अगर गेहूं की फसल में जिंक की कमी होती है। तो गेहूं के पकने में समय ज्यादा लगेगा । इसलिए जिस जमीन में जिनकी कमी है। वहां पर प्रति हेक्टेयर 20 किलो जिंक का प्रयोग किसने को पहले जुताई के समय ही करना चाहिए। इसके अतिरिक्त 45 दिन की फसल होने पर 500 ग्राम जिंक सल्फेट 21 फीसदी 2.5 किलोग्राम यूरिया को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में छिड़काव कर दे।
एक बार जमीन में जिंक डालने के बाद आने वाले तीन से चार साल तक जिंक कमी की पूर्ति हो जाती है। फिर भी यदि आपने जिंक का प्रयोग नहीं किया है। और आपकी खड़ी हुई फसल में जिनकी कमी के दिखाई दे रही है। तो आपको तीन से पांच सप्ताह जब फसल बोने के बाद 1 किलो जिंक सल्फेट (हेप्टाहाईड्रेट) में 1 किलो यूरिया का घोल बनाकर 100 लीटर पानी में फसल पर स्प्रे द्वारा छिड़काव कर सकते हैं। बता दें कि इसके साथ आपको इसे चिपकाने के लिए पदार्थ का जरूर मिलना चाहिए।
ये है जिंक के उत्तम स्त्रोत
जिंक के लिए अनेक स्त्रोत उपलब्ध है जैसे – जिंक सल्फेट (ZnSO4), जिंक ऑक्साइड (ZnO), जिंक कार्बोनेट (ZnCO3), चेलटेड जिंक ( Chelated Zinc) , जिंक क्लोराइड (ZnCl) आदि में मौजूद जिंक की मात्रा उपलब्ध होती है जो जिंक सल्फेट की गेहूं एवम् धान में कमी को पूर्ण करने में सक्षम है।
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