कृषि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार चने की खेती से ले अधिक उत्पादन

Chana Kheti: धान, सोयाबीन व नरमा कपास के साथ सभी फसलों की कटाई का कार्य चल रहा है। जल्द ही किसान अपनी आगे की फसल की बुवाई करने की तैयारी में लग जाएंगे। देश भक्ति ज्यादा क्षेत्रफल में गेहूं की खेती की जाती है। परंतु रबी सीजन में चने की खेती भी कुछ किसान करते हैं।

 

इस रबी सीजन में अगर आप भी चना की खेती ( Gram Cultivation) करते हैं, तो आप भी विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार महत्वपूर्ण जानकारी जानना आवश्यक है। जिससे कि कम लागत में अधिक पैदावार ली जा सके। कृषि सलाहकारों के अनुसार चने की खेती में भी सही समय पर कार्य करने पर बंपर उत्पादन लिया जा सकता है।

 

इस लेख में जानते हैं कि चना की खेती से अधिक उत्पादन कैसे लिया जा सकता है…

 

चने की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

रबी सीजन में चने की खेती की जाती है। इस फसल की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी बालू दोमट या चिकनी मिट्टी मानी जाती है। दलहन फसलों के लिए मृदा का पीएच मान 6.5 से 7.5 के मध्य होना चाहिए। वह घुलनशील लवणों की मात्रा ज्यादा ना हो। खेतों की गहरी जुताई के पश्चात कल्टीवेटर फटा लगाने से खेत तैयार हो जाते हैं।

 

बुवाई का उचित समय : चने की बुवाई उत्तर भारत कि मैदानी में उत्तर पश्चिम क्षेत्र में की जाती है। इसके लिए उचित समय बरनी इलाकों में अक्टूबर महीने के दूसरे पंखवाड़े में कर सकते हैं और जहां सिंचाई व्यवस्था है। वहां नवंबर के प्रथम पखवाड़े के दौरान बुवाई की जा सकती है।

 

आवश्यक बीज दर: चने की बुवाई करते समय इसको बीच में बुवाई का सही तरीका जानना जरूरी है। बता दे की चने की बुवाई लगभग 10 सेंटीमीटर तक गहरी होनी चाहिए। जिससे उठरा रोग से फसल को बचाया जा सके। चने की बीज दर पड़ती है। तैयार छोटे दाने वालों के लिए 50 से 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर व बड़े दानों के लिए 80 से 85 किलोग्राम पट्टी हेक्टेयर होनी चाहिए। अधिक उपज के लिए बुआई से पहले राइजोबियम तक से उपचार करना भी जरूरी है। जिन इलाकों में पछेती बुवाई की जाती है। वहां पर लगभग 22.5 सेंटीमीटर की पंक्ति से दूरी होनी चाहिए।

 

चने की उन्नत किस्म

देश भक्ति अलग-अलग इलाकों में मृदा और मौसम के अनुसार किस्म का चयन करना चाहिए चने की प्रमुख किस्म पूसा 3043, पूसा 10216, पूसा विजय, पूसा 20211, पूसा J.G 16, BGD- 111 इसके अलावा उसर वाले क्षेत्र में काबुली चने की वैरायटी J.G.K-6, चना-1, पूसा 2024, पूसा चमत्कार, L.B.J.K-963, व पूसा 5023 प्रमुख किस्म में आती है। चने की इन किस्म को लगभग 140 से 150 दिन पककर तैयार होने में लगता है। इन उन्नत किस्म से आप अधिक पैदावार ले सकते हैं।

 

उर्वरक की मात्रा

चने की खेती में उर्वरक की मात्रा को सही समय व कितना डालना चाहिए, यह जानना अति आवश्यक हैं। मृदा की जांच करवाके आवश्यकता के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। गंधक की कमी वाली मिट्टी में आप 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से गंधक डाल सकते हैं। चने की फसल में बुआई के समय 50 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की समय डाल सकते हैं।

 

चने की फसल में बुआई के समय ।20 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की समय डाल सकते हैं। जिन अक्षरों में जस्ता की मात्रा कम है। वहां जिंक सल्फेट 25 किलोग्राम पड़ती हेक्टर प्रयोग में ला सकते हैं। पंक्ति की बुवाई से अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। और पंक्ति में दूरी 30 से 45 सेंटीमीटर तक रखनी चाहिए।

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खरपतवार नियंत्रण रसायन

जैसे ही चने की खेती फसल की बुवाई की जाती है उसके पश्चात किसानों को खरपतवार नियंत्रण करना बेहद जरूरी है। इसके लिए आप चने की फसल में बुआई के दो से तीन दिन पश्चात 650 लीटर पानी में 2.50 से 3 पेंडामीथिलीन का छिड़काव प्रति हेक्टेयर के हिसाब से कर सकते हैं। किसान भाई यह ध्यान अवश्य दें कि इसका छिड़काव अंकुरित होने से पहले करना चाहिए। जिससे 4 से 6 सप्ताह तक खरपतवार ना निकले।

 

चने की फसल में चौड़ी पट्टी के वह अन्य खरपतवारों को भी नष्ट करने के लिए रसायन मार्केट में उपलब्ध है। इसके लिए एलाकलोर 4 की रसायन की 2.22 ltr. को 700 लीटर पानी में घोलकर अंकुरित होने से पहले छिड़काव कर दें या इसके अलावा फ्लूक्लोरोलीन 45 E.C. की इतनी ही मात्रा को 700 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से खरपतवार को रोका जा सकता है। यह छिड़काव बीज के अंकुरण से पहले करना चाहिएचाहिए।

 

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नोट: किसान भाइयों हमारे द्वारा दी गई जानकारी किसानों तक सही और सटीक जानकारी पहुंचना है। अपनी फसल की बुवाई करने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें। हमारे द्वारा दी गई जानकारी का माध्यम सोशल मीडिया में अन्य क्षत्रों से ली गई है। बी का चयन व रसायन और उर्वरक का प्रयोग करने से पहले अपने नजदीकी सलाहकारों व विशेषज्ञों से सलाह अवश्य लें।

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