15 साल बाद रूस से गेहूं खरीदने पर सरकार हुई मजबूर। बढ़ती मंहगाई रोकने हेतु 9 मैट्रिक टन गेहूं खरीदने पर विचार
आने वाले चुनावी साल को देखते हुए सरकार गेहूं खरीदने पर विचार कर रही है, पीछले दिनों से लगातार गेहूं की कीमतों में उछाल देखा गया है, ऐसी स्थिति में सरकार अब रूस से गेहूं मूड में आ रही है क्योंकि अगले साल देश में चुनाव होने वाले हैं और सरकार नहीं चाहती कि गेहूं की कीमतें ज्यादा बड़े महंगाई दर को कंट्रोल किया जा सके।
क्योंकि कीमतों में लगातार बढ़ोतरी ने सरकार की परेशानी बढ़ा दी है इस साल मानसून सीजन में कि राज्य में बारिश की मात्रा कम हुई है खेतों में नमी की मात्रा कम रहने की आशंका जताई जा रही है जिसका असर खरीफ की फसलों पर भी दिखाई देगा ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए आने वाले वक्त में गेहूं की कीमतें बढ़ेगी आपको बता दें कि घरेलू मार्केट में गेहूं की कीमतों पर लगाम लगाने हेतु सरकार द्वारा 15 साल बाद गेहूं खरीद का प्लान बना रही है इस साल चाहे घरेलू या अंतरराष्ट्रीय बाजार दोनों तरफ से हुई है गेहूं के इस हेतु सरकार द्वारा गेहूं को खरीद कर सप्लाई बढ़ाना चाहती है ताकि महंगाई रोक सके
महीने खुदरा महंगाई दर 15 महीनों के उच्चतम सत्र 7.44 फीसदी पर पहुंच गई जो खाद्य महंगाई दर 2022 के बाद अपने 11.52 फीसदी हाई पर पहुंच गई है हर महंगाई दर में उछाल की वजह से फल एवं सब्जियों के अलावा गेहूं के भाव में भी बढ़ोतरी देखी गई है बीते 2 महीनों में तो बाजार में गेहूं की कीमतें बढ़कर 7 महीने के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केंद्र सरकार रूसे तकरीबन 9 मेट्रिक टन गेहूं खरीद का विचार कर रही है आपको बता दें कि इससे पहले प्राइवेट तौर पर गेहूं की खरीद 2017 में की गई थी उस समय गेहूं 5.3 मैट्रिक टन गेहूं का आयात किया गया था
हालांकि इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी नजदीक है एवम् आने वाले साल 2024 में लोकसभा चुनाव भी होने वाले हैं ऐसे में सरकार महंगाई दर रोकने हेतु कदम उठा रही है। इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर सरकार अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से गेहूं खरीदने पर विचार कर रही है हालांकि अभी तक सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है आपको बता दें कि रूस दुनिया में सबसे ज्यादा गेहूं का निर्यात करता है।
ये भी पढ़ें 👉 मौसम में बदलाव 20 से बरसेंगे बादल