सरकार द्वारा गेहूं बिक्री टेंडर किए जारी, गेहूं मंडी भाव में 200 रुपए तक तेजी संभव।
गेहूं मंडी भाव:- सरकार द्वारा गेहूं बिक्री टेंडर किए जारी कर दिए गए हैं, जिसके चलते आगामी दिनों में गेहूं मंडी भाव में उछाल देखने को मिल सकता है, हाल ही में सरकार द्वारा खुले बाजार में गेहूं की बिक्री की जा रही है, लेकिन रोलर फ्लोर मिलों एवं आटा चक्कियों को प्रोसेसिंग के अनुरूप गेहूं नहीं मिलने से तेजी का रुख बना हुआ है तथा आज का टेंडर जिस हिसाब से बिका है, उसे देखते हुए गेहूं 100 रुपए प्रति क्विंटल जल्दी और बढ़ जाएगा।
गेहूं मंडी भाव । wheat Price in india
हालांकि सरकार द्वारा पिछले डेढ़ महीने से गेहूं की महंगाई रोकने के लिए दो प्रयोग किए जा रहे हैं हैं। इसका पहला प्रयोग सरकार द्वारा गेहूं पर स्टॉक सीमा 3000 टन का लगाकर देखा गया, उसके बाद दूसरा प्रयोग खुले बाजार में गेहूं की बिक्री बेसिक प्राइस पर टेंडर द्वारा शुरू कर दिया गया। इन दोनों प्रयोग के बावजूद अपेक्षित गिरावट नहीं आई।
हालांकि यह उद्घोषणा होने के बाद एक साथ 200 रुपए प्रति क्विटल भाव नीचे जरूर आ गए थे, लेकिन टेंडर में प्रोसेसिंग के अनुरूप गेहूं नहीं मिलने से धीरे-धीरे बाजार बढ़ते चले गए। पिछले महीने नीचे में गेहूं मंडी भाव 2460 रुपए प्रति कुंतल दिल्ली में मिल पहुंच में गेहूं बिकने के बाद साप्ताहिक होने वाले टेंडर ऊंचे भाव पर समापन होने से धीरे-धीरे बाजार बढ़कर वर्तमान में 2550/2560 रुपए प्रति क्विटल भाव हो गए हैं।
आज का टेंडर 3000 मेट्रिक टन का हुआ, जो नीचे में 2415 एवं ऊपर में 2490 रुपए प्रति क्विंटल का होने की खबर थी। टेंडर काफी महंगा होने से रोलर फ्लोर मिलों में यह 2600/2650 रुपए से ऊपर जाकर पड़ रहा है, जबकि वर्तमान में पहले के आए हुए माल 2050/2060 रुपए प्रति कुंतल बिक रहे हैं ।
इसे देखते हुए 100 रुपए प्रति क्विंटल की शीघ्र और तेजी आने की संभावना बन गई है तथा आगे के टेंडर में सरकार क्वांटिटी 3000 मेट्रिक टन की बजाय 8000 में रिटर्न नहीं करती है, तो गेहूं में महंगाई की आग लग जाएगी। हमारे विचार से सरकार को दो सुझाव है, पहले यह कि टेंडर में क्वांटिटी बढ़ाई जाए एवं दूसरा सुझाव है कि सरकार 2150 रुपए प्रति क्विंटल के बेसिक प्राइस पर गेहूं की बिक्री करें। इस तरह टेंडर में गेहूं की बिक्री किए जाने पर जिस मिल को ज्यादा जरूरत है, वह बढ़ाकर खरीदेगा।
क्वांटिटी खपत के अनुरूप नहीं है, इस स्थिति में स्वाभाविक है कि बोली अधिक से अधिक ऊपर लगेगी, जबकि सरकार का काम व्यापार करना नहीं है। सरकार महंगाई रोकने के लिए अपना माल बेच रही है, इसलिए इसे बेसिक प्राइस पर ही बेचना महंगाई रोकने का एकमात्र उपाय है। गौरतलब है कि सरकार चालू विपणन वर्ष में 262 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद बफर स्टॉक के लिए की थी, जबकि खरीद का लक्ष्य 341.50 लाख में मीट्रिक टन का था। पाइपलाइन में पुराना माल नहीं होने से चौतरफा सीजन पर ही स्टॉकिस्ट लिवाली में आ गए थे, जिसके चलते मई के दूसरे पखवाड़े से ही केंद्रीय धर्म कांटों पर मॉल आने कम हो गए, जिससे खरीद लक्ष्य से सरकार पीछे रह गई है।
सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार पुराना माल भी नई खरीद से पहले बचा था, यदि नया पुराना मिलकर आंकड़े सही बता रहे हैं, तो सरकार को साप्ताहिक टेंडर की क्वांटिटी बढ़ाने में कोई हर्ज नहीं है और यदि आंकड़े के अनुरूप स्टॉक नहीं है, तो बेसिक प्राइस पर माल बेचना ही होगा, अन्यथा गत वर्ष 3200 रुपए प्रति क्विंटल जनवरी माह में जाकर गेहूं बिका था, वह इस बार दिवाली के आसपास ही हो जाएगा।
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