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weeds in wheat | गेहूं में गुल्ली डंडा, संकरी एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियन्त्रण हेतु किसान करें यह उपाय, जाने कौन सी दवाई का करें इस्तेमाल

गेहूं में खरपतवार नियन्त्रण हेतु किसान कर सकते हैं ये उपाय जाने कौन सा स्प्रे है जरूरी

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weeds in wheat crop: किसान साथियों इस समय गेहूं की बुवाई का कार्य शुरू हो गया है, एवं कई स्थानों पर अगैती बुवाई भी गेहूं की हो गई है, ऐसे में पहले पानी के साथ ही कई प्रकार के खरपतवार जैसे गुल्ली डंडा, संकरी एवं चौड़ी पत्ती वाले कई खरपतवार उगने लगते है, जो फसल उत्पादन कम कर सकते हैं।

ऐसे में किसानों को इनके नियन्त्रण हेतु कई प्रकार की कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल करना पड़ता है, यह खरपतवार उगने के बाद गेहूं की फसल के प्रमुख पोषक तत्वों, पानी आदि को सोख लेते हैं, जिससे बढ़वार रुकने लगती है, b इनके नियन्त्रण हेतु आईसीएआर- भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल (हरियाणा) द्वारा कई प्रकार के सुझाव दिए गए हैं।

आज के इस लेख में हम सभी प्रकार के प्रमुख गेहूं में उगने वाले खरपतवार के नाम ओर उनके नियन्त्रण हेतु क्या क्या उपाय किसान करें, ओर कौन से कीटनाशक/दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं, ताकि खरपतवार को नियंत्रित समय पर किया जा सके, आइए एक एक करके जानते है..

गेहूं में चौड़ी पत्ती एवं संकरी पत्ती के नियन्त्रण हेतु उपाय

weeds in wheat | किसान साथियों बेहतर पैदावार हेतु गेहूं में उगने वाले संकरी एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियन्त्रण हेतु उपाय करना बेहद जरूरी है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक संकरी पत्ती वाले खरपतवार हेतु किसान साथी क्लोडिनाफॉप 15 डब्ल्यूपी का 160 ग्राम प्रति एकड़ या फिर पिनोक्साडेन 5 ईसी का 400 मिली प्रति एकड़ छिड़काव कर सकते हैं।

दूसरी ओर चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियन्त्रण हेतु किसान साथी 2,4-डी ई (2-4 DE) का 500 मिली प्रति एकड़, मेटसल्फ्यूरॉन 20 डब्ल्यूपी( metselfuron 20 wp) का 8 ग्राम प्रति एकड़ या फिर कार्केट्राजोन 40 डीएफ का 20 ग्राम प्रति एकड़ इस्तेमाल गेहूं की फसल में करें।

संकरी और चौड़ी पत्ती वाले दोनों खरपतवारों हेतु किसान ये दवाई डाले

weeds in wheat : किसान साथियो यदि खेत में संकरी एवं चौड़ी पत्ती यानि दोनों प्रकार के खरपतवार मौजूद हों, तब आप सल्फोसल्फ्यूरॉन 75 डब्ल्यूजी का 13.5 ग्राम प्रति एकड़ या फिर सल्फोसल्फ्यूरॉन + मेटसल्फ्यूरॉन 80 डब्ल्यूजी का 16 ग्राम प्रति एकड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं।

उपयुक्त दवा को 120-150 लीटर पानी में मिलाकर पहली सिंचाई से पहले या फिर सिंचाई के 10-15 दिन बाद छिड़काव कर सकते हैं। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के खरपतवारों के नियंत्रण हेतु किसान साथी मेसोसल्फ्यूरॉन + आयोडोसल्फ्यूरॉन 3.6% डब्ल्यूडीजी का 160 ग्राम प्रति एकड़ उपयोग करें।

 

कनकी गुल्ली डंडा। (फलारिस माइनर) के नियन्त्रण हेतु उपाय

 

weeds in wheat | बहु खरपतवारनाशी प्रतिरोधी फलारिस माइनर (कनकी गुल्ली डंडा) के नियंत्रण के लिए बुवाई के 0-3 दिन बाद पायरोक्सासल्फोन 85 डब्ल्यूजी का 60 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करें, यदि यह बुवाई के समय उपयोग नहीं किया गया हो, तब किसान इसको पहली सिंचाई से 1-2 दिन पहले (20 दिन बाद) भी उपयोग किया जा सकता है।

 

इसके अतिरिक्त किसान साथी क्लोडिनाफॉप + मेट्रिब्यूजिन 12+42% डब्ल्यूपी का 200 ग्राम प्रति एकड़ उपयोग करें, जिसे पहली सिंचाई के 10-15 दिन बाद 120-150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं।

अगैती गेहूं की बुवाई हेतु प्रबंधन

अगेती बोई जाने वाली और उच्च उर्वरता वाली गेहूं की फसलों के लिए, क्लोरमेक्वेट क्लोराइड 50% एसएल का 0.2% और टेबुकोनाजोल 25.9% ईसी का 0.1% मिलाकर टैंक मिक्स तैयार करें और इसका छिड़काव प्रथम नोड अवस्था (50-55 डीएएस) में करें। यह प्रक्रिया 160 लीटर प्रति एकड़ पानी के साथ पूरी करें।

गेंहू की फसल सुरक्षा हेतु किसान ये करे उपाय

यदि बीज उचित स्थान संस्था से खरीदा गया हैएवं बीज उपचार किया गया है तो गेहूं की फसल में प्राय: कीट व व्याधि का प्रकोप नहीं होता है। इस समय पुरानी अधिकतर गेहूँ की प्रजातियाँ बीमारियों विशेषकर तना एवं पत्तियों के रतुआ के प्रति प्रतिरोधक क्षमता खो चुकी हैं तथा ब्लाइट (पत्तियों का प्रकोप भी देखा जा रहा है।

यदि पत्तियों या तने का रतुआ (रस्ट) का प्रकोप हो तो तुरन्त 10 दिन के अंतराल पर 0.1 प्रतिशत का प्रोपिकोनाजोल (टिल्ट 25 ईसी) का छिड़काव कम से कम दो बार करें यह दवा ब्लाइट के लिये भी प्रभावी है। कीट पर अन्य व्याधि का प्रकोप हो तो तुरन्त विशेषज्ञ सलाह से उपचार करें।

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