अधिक उत्पादन वाली ये है 5 अगेती किस्म, जो देगी 20 से 25 क्विंटल तक उत्पादन, जानें बुवाई का समय, खाद बीज उर्वरक की मात्रा
Top 5 Sarso variety 2024 सरसों की अगेती किस्में जो अच्छी पैदावार हेतु सरसों की ये है 5 टॉप उन्नत वैरायटी जो प्रति एकड़ देगी अच्छी पैदावार , संपूर्ण जानकारी देखे
New Top 5 Sarso variety 2024 : सरसों की अगेती किस्में कोन सी है इसके बारे में आज हम आपको बताएंगे जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिले। इसके अलावा अच्छी पैदावार हेतु सरसों की 5 टॉप उन्नत वैरायटी के बारे में विस्तृत जानकारी लेकर हाजिर है
देशभर में सरसों तेल की मांग हमेशा बनी रहती है एवं सरसों एक प्रमुख तिलहन फसल है वहीं भारत एक बड़ा खाद्य तेल आयातक है, सरसों एक ऐसी फसल है जो काफी लाभ देती है क्योंकि इसमें उत्पादन अधिक जबकि लागत कम आती है वहीं से कम पानी के क्षेत्र में भी आसानी से बोया जा सकता है वहीं इसमें कुछ रोग भी कम लगते हैं । सरसों का उपयोग रोजमर्रा की जिंदगी में आम होता है एवं इसकी खपत भी काफी ज्यादा है इसलिए इसके मांग के हिसाब से कीमत भी अच्छी मिलती है ।
भारत में प्रमुख सरसों उत्पादक राज्य राजस्थान एमपी हरियाणा गुजरात यूपी बिहार गुजरात पंजाब आदि क्षेत्रों में की जाती है तो चलिए जानते हैं आज सरसों की प्रमुख उन्नत किसने कौन सी है जो हमें कम लागत में अधिक उत्पादन दे सकती है।
सरसों की अगेती किस्में एवम् सरसों की बुवाई का समय ।
अच्छे उत्पादन हेतु सरसों की बुवाई का सही समय सितंबर के अंतिम सप्ताह से शुरू होकर अक्टूबर के पहले सप्ताह तक माना गया है, इस सीजन में आगे की सरसों की किस्म उगाई जा सकती है अक्टूबर के पहले सप्ताह के बाद सरसों की पछेती बुवाई भी भारत के अनेक क्षेत्रों में की जाती है जो अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक की जा सकती है।
सरसों की ये है 5 टॉप उन्नत वैरायटी। Top 5 Sarso variety 2024
1.सरसों की किस्म राज विजय किस्म – सरसों 2
Mustard Varieties: सरसों की इस किस्म की बुवाई अप एवं मध्य प्रदेश में करने के लिए उपयुक्त मानी गई है यह पकाने में तकरीबन 120 से 130 दोनों का समय लेती है वही इसे यदि अक्टूबर के पहले सप्ताह में बुवाई की जाए तो यह तकरीबन 20 से 25 क्विंटल तक पैदावार दे सकती है इसमें तेल की मात्रा तकरीबन 40 फ़ीसदी तक होती है एवं बाजार भाव भी अच्छे मिलते हैं।
2. सरसों की पूसा किस्म – सरसों 28
Top 5 Sarso variety 2024 : अच्छे उत्पादन हेतु यह किस्म भी काफी उपयुक्त मानी गई है इसकी बुवाई का उपयुक्त समय सितंबर माह से अक्टूबर माह माना गया है यह किस्म तकरीबन 20 क्विंटल तक उत्पादन दे सकती है एवं तेल की मात्रा इस किस्म में 42 फीसदी ओसत रहती है। यह पकाने में 110 से 115 दिन का समय लेती है इसका उत्पादन प्रमुख रूप से राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दक्षिणी हिमालय आदि क्षेत्रों में उपयुक्त माना गया है।
3. सरसों की उन्नत किस्म – सरसों 27 वैरायटी
अगेती सरसों की किस्म में यह उपयुक्त मानी गई है, क्योंकि यह पकने में अधिक समय लेती है एवं तेल की मात्रा भी इसमें अधिक होती है यह पकाने में तकरीबन 130 से 140 दिन का समय लेती है एवं तेल की मात्रा तकरीबन 38 से 45 फ़ीसदी मिलता है यह उत्पादन में 18 से 22 क्विंटल पड़ती है, कर देने के लिए उपयुक्त है।
4.सरसों किस्म- पूसा महक वेरायटी
पूर्वी एवं उत्तर पूर्वी राज्यों हेतु उपयुक्त किस्म पूसा महक को माना गया है, इसकी खेती प्रमुख रूप से राज्यों जैसे – असम, बिहार, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड, बंगाल में की जाती है, एवं अच्छा उत्पादन भी दे सकती है, उत्पादन के लिहाज से यह है 18 क्विंटल तक देती है, एवं इसमें तेल की मात्रा 40 फ़ीसदी होती है इसे पकने में यह किस्म 120 से 122 दिन का समय लगता है।
5. सरसों की किस्म RH 725 वैरायटी
Sarso ki kisam: इस सरसों की यह किस्म RH-725 किस्म को पकने में 135-145 दिन का समय लगता है, इसकी फलियों का आकार काफी लंबा होता है, एवम् दाने की प्रति फली मात्रा 18 से 20 तक होती है, इसकी सखाये काफी लंबी अब अधिक फुटाव वाली होती है, दानों का आकार भी अन्य किस्मों की बजाय मोटा रहता है।
अगेती बिजाई हेतू सरसों की अन्य उन्नत किस्में
* सरसों की अगेती किस्म RH 30 वैरायटी
यह किस्म अक्टूबर महिने में किसान बुवाई कर सकते हैं, इसकी बुवाई यदि 15 से 20 अक्टूबर के आसपास कर तो प्रति क्विंटल 15 से 22 क्विंटल उत्पादन दे सकती है, इसकी खेती किसान सिंचित एवम् असिंचित क्षेत्र यानि दोनो स्थानो पर कर सकते हैं। इसकी बुवाई उतर पश्चिमी भारत के राज्यो हरियाणा, पंजाब एवम् राजस्थान के लिए उपयुक्त माना जा रहा है, पकने में यह किस्म तकरीबन 130 से 132 दिन लेगी। इसमें ऑयल की मात्रा 39 फीसदी तक रहती है।
** सरसों की वैरायटी RH 761
Mustard Varieties 2024 : किसान कम सिंचाई वाले क्षेत्र में इस किस्म की बुवाई कर सकते हैं ,क्योंकि यह किस्म पाले के प्रति भी सहनशील किस्म मानी गई है यह उत्पादन के लिहाज से प्रति हैक्टेयर भूमि पर 25 से 28 क्विंटल तक देने में सक्षम है। पकने में 135 से 145 दिन और फूल आने में 45 से 58 दिन लेती है।
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