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उच्च तापमान सहने में सक्षम ये है ग्वार की टॉप उन्नत किस्में जो देगी बंपर उत्पादन , जानें उत्पादन एवम् खास बातें

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ग्वार की टॉप उन्नत किस्में कोन सी है जो अधिकतम उत्पादन दे सकती है, जी हा किसान भाइयों इस लेख में अधिक उत्पादन एवम् उच्च तापमान को सहन करने वाली ग्वार की उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी देने वाले है, जिसे किसान साथी उगाकर बेहतर लाभ ले सकते है। तो चलिए जानते है सबसे उच्च उत्पादन वाली ग्वार की टॉप किस्म कोन सी है।

 

किसान भाइयों ग्वार की खेती मुख्य रूप से देश के पश्चिमी भाग के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण फसल मानी जाती है यानि इस क्षेत्र में सबसे अधिक बुवाई इस फसल की करी जाती है। यह ग्वार की फसल अधिक तापमान में भी अच्छी पैदावार देती है, इसकी खेती भारत के राजस्थान हरियाणा पंजाब गुजरात एवम् उत्तर प्रदेश के कई स्थानों पर प्रमुख रुप में होती है। वही अकेला राजस्थान राज्य भारत का तकरीबन 80 फीसदी तक उत्पादन के कारण प्रथम स्थान पर बना हुआ है।

ग्वार की खेती खरीफ सीजन में की जाती है, यह कम पानी में पकने वाली फसल है, इसके चारे में अधिक प्रोटीन एवम् खनिज पदार्थ होने के चलते पशुओं को चारे के लिए इस्तेमाल भी किया जाता है, यह फसल प्रमुख ओद्योगिक फसल मानी जाती है, जिसकी खेती शुष्क क्षेत्रों में अधिकतर करना लाभदायक होता है। कम लागत में भी इसकी खेती से अच्छा लाभ लिया जा सकता है।

ग्वार की टॉप उन्नत किस्में कोन सी है आईए जानें

Gwar top variety: किसान भाइयों ग्वार की खेती करने वाले किसानों को अधिक उत्पादन लेने हेतु कई प्रकार की बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे उन्नत बीज, खाद एवम् पानी के अलावा अन्य प्रकार के रोग और खरपतवार के प्रती सावधानी । इन सभी प्रकार की जानकारी आपके लिए अच्छी पैदावार हेतु आवश्यक है। इनमे सबसे प्रमुख बीज होता है जो उत्पादन को हमेशा प्रभावित करता है। ग्वार की वैसे तो बाजार में अनेक किस्म इस समय उपलब्ध है परंतु उच्च उत्पादन देने वाली किस्में जैसे RGC-1038 ग्वार किस्म, HG-2-20 ग्वार किस्म एवम् RGC-1031 ग्वार किस्म अधिक उत्पादन देने के लिए जानी जाती हैं।

1. आरजीसी-1038 ग्वार किस्म

यह ग्वार की किस्म प्रति हेक्टेयर तकरीबन 15 से 20 क्विंटल तक उत्पादन दे सकती है, जो बुवाई के 100 से 112 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म के पौधे की पतियां खुरदरी एवम् दांतेदार होती है। इसके दाने का आकार मध्यम मोटाई एवम् भूरे रंग के दिखाईं देते हैं, जबकि 45 से 50 दिन में फूल निकलने लगते है, इसमें 2 पानी की अधिकतम जरूरत पड़ती है, यदि बारिश हो तब पानी की आवश्यकता नही रहती। भ्रूणपोष की मात्रा 31.6% से 36.5%, प्रोटीन की मात्रा 28.6% से 30.9%, गोंद की मात्रा 28.9% से 32.6% एवम् कार्बोहाइड्रेट की मात्रा 35.2% से 37.4% होते है। यह किस्म में रोग प्रतिरोधक मात्रा अधिक पाई जाती है। इसको बोते समय पौधे से पौधे दूरी 35 cm एवम् पंक्ति से पंक्ति की दूरी 40 cm रखनी चाहिए।

2. एचजी-2-20 ग्वार की किस्म

यह ग्वार की किस्म वर्षा आधारित किस्म है, यानी बारिश से ही पकने में सक्षम किस्म मानी जाती है। इस किस्म के दाने मोटे, पति खुरदरी, एवम् फलियां लंबी होती है। यह किस्म अन्य किस्म की बजाय कम समय में पक जाती है एवम् 85 से 98 दिन में पककर जाती है। उत्पादन प्रति एकड़ यह किस्म 8 से 10 क्विंटल तक दे सकती है। वही अनेक रोग जैसे बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट, रूट रॉट और अल्टरनेरिया ब्लाइट आदि रोगों के प्रती सहनशील होते हैं।

3. आरजीसी-1031 ग्वार की किस्म

ग्वार की यह किस्म पकने में 100 से 110 दिन लेती है और उत्पादन के लिहाज से प्रति हैक्टेयर 10 से 16 क्विंटल तक देती है, इसके फूल का रंग हल्का गुलाबी होता है, फूल के खिलने का समय 50 दिन रहता है, इसकी फलियां मध्यम आकार की रहती है इसके दाने का रंग सलेटी होता है, जो मध्यम आकार का होता है। झुलसा रोग के प्रति यह किस्म सहनशील होती है।

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Web Desk

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