सरसों एक सप्ताह में 125 रू की तेजी, क्या दीवाली तक और बढ़ने के है आसार, जानें क्या रहेगा सरसों मंडी भाव
सरसों मंडी भाव पिछले सप्ताह के सोमवार को जयपुर सरसों 5900 रुपये पर खुला था एवम् सप्ताह के अंतिम करोबारी दिन शनिवार शाम 6025 रुपये पर बंद हुआ। पिछले सप्ताह के दौरान सरसो में मांग बनी रहने से +125 रुपये प्रति क्विंटल की मजबूत दर्ज हुआ, सरसो तेल की टाइट सप्लाई और नाफेड की ऊँचे भाव में बिकवाली से सरसो में सुधार देखने को मिला।
वही अन्य खाद्य तेलों के साथ अंतराष्ट्रीय बाजार में रिकवरी से सरसो तेल में तेजी देखने को मिली, हालाँकि सोया और अन्य तेलों की तुलना में ऊँचे होने के कारण ऊपरी स्तरों पर डिमांड की चिंता बनी हुई है। दुसरी ओर आयातकों के पास पर्याप्त स्टॉक के चलते भारत से सरसों खल के एक्सपोर्ट डिमांड में कमजोरी आयी है।
सितम्बर महीने में भारत से 1.89 लाख टन सरसो खल का निर्यात हुआ जो अगस्त की तुलना में 27.55% कम था। ऊँचे भाव पर मांग कमजोर होने से सरसो खल के भाव में बीते सप्ताह 80 रुपये/क्विंटल की गिरावट दर्ज की गयी। हालाँकि पिछले कुछ दिनों से सरसो की ऊँची बोली और नाफेड की ऊपर किये बिड पास करने से सरसो में तेजी का माहौल बना हुआ है।नाफेड ने राजस्थान में अब तक 5609 के सबसे ऊँची बिड पास की है।
राजस्थान में सरसो के शुरुआती बुवाई के पिछले वर्ष से पीछे है। 20 अक्टूबर तक राजस्थान में 7.164 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई है जो पिछले वर्ष से 16.70% पीछे है। जीरे और गेहूं के ऊँचे भाव देख कई छेत्रों में किसान सरसो को छोड़ इनकी बुवाई बढ़ा सकते हैं। किसान की शुरुआती रुझान से सरसो की बुवाई कमजोर पड़ने की सम्भावना नजर आ रही है।
लेकिन अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा क्यूंकि एमएसपी में बढ़ोतरी के बाद रुझान बदल सकता है। सरकार ने सरसो के समर्थन मूल्य को 200 रुपये बढ़ाकर 5650/क्विंटल किया।पिछले वर्ष दिवाली तक सरसो में तेजी के बाद गिरावट का दौर शुरू हो गया था।जयपुर सरसो फ़िलहाल 6050 के रेजिस्टेंस को पार नहीं कर पा रहा है।
हालांकि अनुमान के अनुसार पुराने स्टॉक किए हुए माल को खाली करने की ओर सोचना ज़रूरी है क्योंकी दिवाली के बाद बुवाई के रुझान, मौसम की चाल और नाफेड की बिकवाली भाव पर सरसो की चाल निर्भर रहेगी।
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